हेल्थ इंश्योरेंस लेते समय इन 5 बातों पर जरूर ध्यान दें

हेल्थ इंश्योरेंस लेते समय इन 5 बातों पर जरूर ध्यान दें

सेहतराग टीम

जिंदगीं, जिसे बहुत अमूल्य माना जाता है, जिंदगी जिसे जितना अमूल्य माना जाता है उससे कहीं ज्यादा जरूरी है कि हर वक़्त ख्याल रखा जाए। जब कभी कोई जिंदगी के ख्याल की बात करता है तो वह हेल्थ इंश्योरेंस की बात करता है। यानी हेल्थ इंश्योरेंस जिंदगी से कहीं न कहीं जुड़ा होता है। हर कोई किसी भी तरह की फाइनेंशियल प्लानिंग शुरुआत हेल्थ इंश्योरेंस कवर लेने से करता है। ज्यादातर फाइनेंशियल प्लानर इसे खरीदने की सलाह देते हैं। इसलिए हम आपको बता रहें हैं कि हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लेने से पहले क्या करना चाहिए।

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हेल्थ कवर में पैसा क्यों लगाना चाहिए-

अगर अध्ययनों के अनुसार बात करें तो, भारत में चिकित्सा महंगाई (मेडिकल इंफ्लेशन) की सालाना दर करीब 17 फीसदी है। मंहगाई के सामान्य से यह ज्यादा है। इसलिए सही हेल्थ इंश्योरेंस का होना जरूरी है। इसके आलावा सहीं हेल्थ इंश्योरेंस प्लान चुनाव बहुत जरूरी है। हेल्थ इंश्योरेंस को केवल बीमारी और उसके उपचार से जोड़कर नहीं देखना चाहिए। क्योंकि आपकी सेहत आज अच्छी हो सकती है लेकिन कल क्या पता कि किस उम्र में किसी के साथ क्या दुर्घटना हो जाए। ऐसी स्थितियों में हेल्थ कवर मददगार साबित होता है। कम उम्र में पॉलिसी खरीदकर उसे बिना क्लेम के रिन्यू कराते रहने से कभी अचानक बीमारी आती है तो उसका सामना करने में मदद मिलती है।      

प्लान में सब-लिमिट को जांच लें-

इन दिनों ज्यादातर हेल्थ इंश्योरेंस प्लान में सब-लिमिट होती है। सब-लिमिट का आशय री-इंबर्समेंट की सीमा तय करने से है। मसलन अस्पताल में भर्ती हुए तो कमरे के किराए पर बीमित राशि के एक फीसदी तक की सीमा हो सकती है। इस तरह पॉलिसी की बीमित राशि भले कितनी हो, सीमा से अधिक खर्च करने पर अस्पताल के बिल जेब से चुकाने पड़ सकते हैं। कुछ हेल्थ प्लान में इस तरह की कोई सब-लिमिट नहीं होती है। वहीं, कुछ में प्लान खरीदते वक्त सब-लिमिट जोड़ने का विकल्प मिलता है।

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पहले से मौजूद बीमारियां कवर हैं कि नहीं-

सभी हेल्थ इंश्योरेंस प्लान पहले से मौजूद बीमारियों को कवर करते हैं। लेकिन, इन्हें 48 महीने के बाद ही कवर किया जाता है। कुछ 36 महीने बाद इन्हें कवर करते हैं। हालांकि, पॉलिसी खरीदते वक्त ही पहले से मौजूद बीमारियों के बारे में बताना महत्वपूर्ण होता है। इससे क्लेम सेटेलमेंट में दिक्कत नहीं आती है। को-पेमेंट फीचर की जांच कर लें सभी प्लान में को-पेमेंट फीचर हो, यह जरूरी नहीं है। लेकिन सीनियर सिटीजन हेल्थ इंश्योरेंस प्लान में यह जरूरी फीचर हो सकता है। ज्यादा उम्र के लोगों के लिए प्रीमियम की दरें भी ज्यादा होती हैं। को-पेमेंट फीचर कुछ राहत देता है। इससे प्रीमियम को कम करने में मदद मिलती है।

निवेश करने से पहले तुलना करें-

प्रीमियम राशि की तुलना हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसियों के साथ हमेशा की जानी चाहिए जो समान लाभ प्रदान करते हैं। यह सुनिश्चित करेगा कि आप अपनी हेल्थ इन्शुरन्स पॉलिसी से अधिकतम लाभ प्राप्त करें।

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नेटवर्क अस्पताल-

किसी भी हेल्थ प्लान में निवेश करने से पहले सुनिश्चित करें कि आप योजना के तहत आने वाले नेटवर्क अस्पतालों पर विचार किया है। नेटवर्क अस्पताल अस्पतालों का एक समूह हैं जो आपको अपनी वर्तमान हेल्थ प्लान को भुनाने की अनुमति देता है। हमेशा उसी प्लान के लिए जाएं जो आपके क्षेत्र में अधिकतम नेटवर्क अस्पताल प्रदान करता है अन्यथा आपका निवेश आपात स्थिति के समय में काम में नहीं आएगा।

 

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